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शोध क्या है ?

शोध क्या है ?. शोध (Research):. शोध उस प्रक्रिया अथवा कार्य का नाम है जिसमें बोधपूर्वक प्रयत्न से तथ्यों का संकलन कर सूक्ष्मग्राही एवं विवेचक बुद्धि से उसका अवलोकन- विश्‌लेषण करके नए तथ्यों या सिद्धांतों का उद्‌घाटन किया जाता है ।

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शोध क्या है ?

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Presentation Transcript


  1. शोधक्याहै?

  2. शोध (Research): • शोध उस प्रक्रिया अथवा कार्य का नाम है जिसमें बोधपूर्वक प्रयत्न से तथ्यों का संकलन कर सूक्ष्मग्राही एवं विवेचक बुद्धि से उसका अवलोकन- विश्‌लेषण करके नए तथ्यों या सिद्धांतों का उद्‌घाटन किया जाता है। • स्थूल अर्थों में शोध नवीन और विस्मृत तत्वों का अनुसंधान है जिसको अंग्रेजी में डिस्कवरी ऑफ फैक्ट्स कहते हैं। और सूक्ष्म अर्थ में वह ज्ञात साहित्य के पूनर्मूल्यांकन और नई व्याख्याओं का सूचक है। -आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी (1969) 

  3. शोध • शोध क्या है?....... .. शोध ज्ञान का विस्तार है • शोध में क्या होना चाहिए ?........... ज्ञान सीमा का विस्तार • ज्ञान क्या है?................ ज्ञान सार्थक जीवन की समझ का नाम है • ज्ञान विस्तार क्या है?..................... सार्थक जीवन की समझ का समय समय पर पूनर्मूल्यांकन और नवीनीकरण

  4. शोध की परिभाषा • रैडमैन और मोरीने अपनी किताब  “दि रोमांस ऑफ रिसर्च” में शोध का अर्थ स्पष्ट करते हुए लिखा है, कि नवीन ज्ञान की प्राप्ति के व्यवस्थित प्रयत्न को हम शोध कहते हैं। • एडवांस्ड लर्नर डिक्शनरी ऑफ करेंट इंग्लिशके अनुसार- किसी भी ज्ञान की शाखा में नवीन तथ्यों की खोज के लिए सावधानीपूर्वक किए गए अन्वेषण या जांच- पड़ताल को शोध की संज्ञा दी जाती है। • स्पार और स्वेन्सनने शोध को परिभाषित करते हुए अपनी पुस्तक में लिखा है कि कोई भी विद्वतापूर्ण शोध ही सत्य के लिए, तथ्यों के लिए, निश्चितताओं के लिए अन्चेषण है। • वहींलुण्डबर्गने शोध को परिभाषित करते हुए लिखा है, कि अवलोकित सामग्री का संभावित वर्गीकरण, साधारणीकरण एवं सत्यापन करते हुए पर्याप्त कर्म विषयक और व्यवस्थित पद्वति है।

  5. शोध की कुछ अन्य परिभाषाएँ

  6. शोध के अंग Parts of Research HELPFUL 1. ज्ञान क्षेत्र की किसी समस्या को सुलझाने की प्रेरणा Collection of facts 2.    प्रासंगिक तथ्यों का संकलन Motivation  3. विवेकपूर्ण विश्‌लेषण और अध्ययण Rational analysis and study परिणाम स्वरूप निर्णय  Conclusion

  7. शोध का महत्व • 1.    शोध मानव ज्ञान को दिशा प्रदान करता है तथा ज्ञान भंडार को विकसित एवं परिमार्जित करता है • 2.    शोध से व्यावहारिक समस्याओं का समाधान होता है 3.    शोध से व्यक्तित्व का बौद्धिक विकास होता है 4.    शोध सामाजिक विकास का सहायक है 5.    शोध जिज्ञासा मूल प्रवृत्ति  (Curiosity Instinct) की संतुष्टि करता है 6.    शोध अनेक नवीन कार्य विधियों व उत्पादों को विकसित करता है 7.    शोध पूर्वाग्रहों के निदान और निवारण में सहायक है 8.    शोध ज्ञान के विविध पक्षों में गहणता और सूक्ष्मता प्रदान करता है

  8. शोध करने हेतु प्रयोग की जाने वाली पद्धतियाँ • 1.सर्वेक्षण पद्धति (Survey method) • 2.   आलोचनात्मक पद्धति (Critical Method): • 3. समस्यामूलक पद्धति (Problem based method) • 4. तुलनात्मक पद्धति (Comparative method) • 5. वर्गीय अध्ययण पद्धति (Class based method) • 6. क्षेत्रीय अध्ययन पद्धति (Regional method) • 7. आगमन(induction)- निगमन (Deduction)पद्धति

  9. आलोचनात्मक पद्धति (Critical Method): • क). काव्यशास्त्रीय पद्धति (aesthetic/poetics method) • ख). समाजशास्त्रीय पद्धति (Sociological method) • ग). भाषावैज्ञानिक पद्धति (Linguistic method) • घ).शैली वैज्ञानिक पद्धति (Stylistic method) ङ). मनोवैज्ञानिक पद्धति (Psychological method)

  10. शोध के प्रकार

  11. शोध के प्रकार • उपयोग के आधार पर : 1. विशुद्ध / मूल शोध (Pure / fundamental Research) 2. प्रायोगिक /प्रयुक्त या क्रियाशील शोध (Applied Research) • काल के आधार पर : 1.  ऎतिहासिक शोध (Historical Research) 2. वर्णनात्मक / विवरणात्मक शोध (Descriptive Research)

  12. शोध के कुछ मुख्य प्रकार-1 1. वर्णनात्मक शोध- शोधकर्ता का चरों (variables) पर नियंत्रण नहीं होता। सर्वेक्षण पद्धति का प्रयोग होता है। वर्तमान समय का वर्णन होता है। मूल प्रश्न होता है: “क्या है?” 2. विश्लेषणात्मक शोध (Analytical Research) – शोधकर्ता का चरों (variables) पर नियंत्रण होता है। शोधकर्ता पहले से उपलब्ध सूचनाओं व तथ्यों का अध्ययन करता है। 3. विशुद्ध / मूल शोध  - इसमें सिद्धांत (Theory) निर्माण होता है जो ज्ञान का विस्तार करता है। गणित तथा मूल विज्ञान के शोध।

  13. शोध के कुछ मुख्य प्रकार-2 4. प्रायोगिक / प्रयुक्त शोध (Applied Research): • समस्यामूलक पद्धति का उपयोग होता है। किसी सामाजिक या व्यावहारिक समस्या का समाधान होता है। इसमें विशुद्ध शोध से सहायता ली जाती है। 5. मात्रात्मक शोध (Quantitative Research): इस शोध में चरों (variables) का संख्या या मात्रा के आधार पर विश्लेषन किया जाता है। 6. गुणात्मक शोध (qualitative Research) : इस शोध में चरों (variables) का उनके गुणों के आधार पर विश्लेषन किया जाता है। 7. सैद्धांतिक शोध (Theoretical Research):  सिद्धांत निर्माण और विकास पुस्तकालय शोध या उपलब्ध डाटा के आधार पर किया जाता है।

  14. शोध के कुछ मुख्य प्रकार-3 • 8. आनुभविक शोध (Empirical Research): इस शोध के तीन प्रकार हैं – क) प्रेक्षण (Observation) ख) सहसंबंधात्मक (Correlational) ग) प्रयोगात्मक (Experimental) • 9. अप्रयोगात्मक शोध (Non-Experimental Research) – वर्णनात्मक शोधके समान • 10.  ऎतिहासिक शोध (Historical Research): इतिहास को ध्यान में रख कर शोध होता है। मूल प्रश्न होता है: “क्या था?” • 11.  नैदानिक शोध (Diagnostic / Clinical Research): समस्याओं का पता लगाने के लिए किया जाता है।

  15. उपयोगी शब्दावली: • ✓चर (variable – वस्तु, घटना या गुण जिन्हें मापा जा सकता है। जैसे उम्र, तापमान, लिंग, भाषा, लंबाई, बुद्धि, प्रकाश, शोरगुल • ✓शोध विधि (Research Method): शोध करने में प्रयुक्त सभी विधियाँ या तरीके • ✓शोध प्रविधि (Research Methodology): शोध प्रश्न/ समस्या को सुलझाने की पूरी योजना • ✓अंतर-विद्यावर्ती / अंतर-अनुशासनात्मक शोध : Inter-disciplinary Research – उदाहरण – जैव-प्रोद्यौगिकी (Biotechnology) शोध, मनोभाषावैज्ञानिक (Psychollinguistics) शोध, कंप्यूटर-भाषावैज्ञानिक (Computational Linguistic) शोध, जैवपुरातत्व शोध (Bio-archaeology), स्नावयिक भाषाविज्ञान (Neurolinguistics) शोध, भाषा शिक्षण शोध, नृवैज्ञानिक शोध (Anthropological Research)

  16. N शोध प्रबंध की रूपरेखा Zoom E W S

  17. शीर्षक • ·         सही शीर्षक का चुनाव विषय वस्तु को ध्यान में रख कर किया जाए। • ·         शीर्षक ऎसा हो जिससे शोध निबंध का उद्देश्य अच्छी तरह से स्पष्ट हो रहा हो। • ·         शीर्षक न तो अधिक लंबा ना ही अधिक छोटा हो। • ·         शीर्षक में निबंध में उपयोग किए गए शब्दों का ही जहाँ तक हो सके उपयोग हॊ। • ·         शीर्षक भ्रामक न हो। • ·         शीर्षक को रोचक अथवा आकर्षक बनाने का प्रयास होना चाहिए। • ·         शीर्षक का चुनाव करते समय शोध प्रश्न को ध्यान में रखा जाना आवश्यक है।

  18. भूमिका / प्रस्तावना • ·         शोध प्रश्न को यहाँ स्पष्ट करें। • ·         भूमिका न तो बहुत बड़ी होनी चाहिए न ही छोटी। • ·         भूमिका में शोध विषय के बारे में संक्षिप्त परिचय दिया जाता है। • ·         भूमिका को रोचक बनाने का प्रयास होना चाहिए। • ·         भूमिका में उस विषय पर पूर्व में किए गए कार्य को भी बताया जा सकता है। • ·         विषय से जुड़ी हुईं अन्य बातें जैसे देश/प्रदेश/भाषा/जीवन की जानकारी भी दी जा सकती है। • ·         आमतौर पर भूमिका ऎसी होनी चाहिए जिससे कॊई भी पाठक ( चाहे वह किसी भी विषय का विद्यार्थी हो) विषय के बारे में जानकारी ले सके। • ·         प्राकल्पना (Hypothesis) को यहाँ लिखा जाए। • ·         आप आगे के पृष्ठों में क्या लिखने वाले हैं इसके बारे में भी एक छोटा सा परिचय दें।

  19. शोधकीविशेषताएँ(Characteristics of Research): • 1.     शोध वस्तुनिष्ठ (objective) होता है| • 2.     शोध क्रमबद्ध (systematic) होता है। • 3.     शोध में प्रतिकृति (Replicability) का गुण होता है। • 4.     शोध तार्किक (logical) होता है। • 5.     शोध में वैज्ञानिक दृष्टिकोण होता है। • 6.     शोध में यथार्थता (precision) होता है। • 7.     शोध निष्पक्ष (impartial) होता है। • 8.     शोध में समय  अवधि का गुण होता है। • 9.     शोध विश्वास योग्य (Reliable) एवं प्रामाणिक होता है। • 10.   शोध में तथ्यों या घटनाओं का प्रेक्षण (observation) तथा वर्णन होता है।

  20. शोधकीप्रेरणा(Motivations in Research): • 1.     शोध डिग्री प्राप्त करके उसके पश्चात होने वाले लाभों की प्राप्ति। • 2.  हल नहीं की गई समस्याओं को हल करने की इच्छा। • 3.   शोध के द्वारा रचनात्मक कार्य करने की इच्छा। • 4.   समाज सेवा करने का उद्देश्य • 5.   आदर प्राप्त करने की इच्छा। • 6.   सरकार द्वारा शोध करने के लिए निर्देश। • 7.   कारणात्मक संबंध (causal relationship) को समझने की इच्छा।

  21. शोधकेउद्देश्य (Objectives of Research) • 1.  वैज्ञानिक कार्यविधि (procedure) के उपयोग द्वारा प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करना। • 2.    छिपे हुए सत्य का पता लगाना। • 3.    किसी घटना के बारे में नई जानकारी प्राप्त करना। इस उद्देश्य`पर आधरित शोध अन्वेषणात्मक (Exploratory) अथवास्पष्टवादी (Formulative) शोध कहलाता है। • 4.  किसी विशेष व्यक्ति अथवा समूह या स्थिति का सही वर्णन प्रस्तुत करना। • 5.   किसी घटना के साथ सह-संबंध की आवृति की जानकारी प्राप्त करना। • 6.  किन्ही चरों के बीच के कारणात्मक संबंधों का परीक्षण करना।

  22. शोध दृष्टिकोण (Research approach) • 1.        मात्रात्मक दृष्टिकोण (Quantitative approach) •                      I.            आनुमानिक दृष्टिकोण (Inferential approach) •                    II.            अनुकरण दृष्टिकोण • (Simulation approach) •                  III.            प्रयोगात्मक दृष्टिकोण (Experimental approach) • 2.        गुणात्मक दृष्टिकोण (Qualitative approach)

  23. अच्छा शोध कैसा हो? • 1.     शोध के उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए तथा सामान्य अवधारणाओं का उपयोग किया जाना चाहिए। • 2.     शोध प्रक्रिया की पर्याप्त रूप से व्याख्या की जानी चाहिए जिससे कि भविष्य में शोधकर्ता इस पर अधिक कार्य कर सकें। • 3.     शोध प्रक्रिया की रूपरेखा सावधानी पूर्वक नियोजित की जानी चाहिए जिससे कि जहाँ तक संभव हो उद्देश्य पर आधारित परिणाम प्राप्त किए जा सके। • 4.     शोध प्रतिवेदन में शोधकर्ता को निसंकोच अपने शोध की खामियों को स्पष्ट करना चाहिए। • 5.     निष्कर्ष वहीं तक सीमित रहना चाहिए जहाँ तक डाटा / आँकड़ा की सहायता ली गई है। • 6.     शोध में उपयोग किया डाटा / सामग्री/ साहित्य विश्वसनीय होना चाहिए। • 7.     शोध सुव्यवस्थित होना चाहिए। • 8.     शोध तार्किक होना चाहिए। • 9.     शोध आनुभविक होना चाहिए। • 10.   शोध सुपरिभाषित निर्धारित नियमों पर आधारित होना चाहिए।

  24. शोध प्रक्रिया : चरण -1

  25. शोधसमस्याकाचयनएवंनिर्माणSelection and formulation of Research Problem • प्रथम चरण शोध • समस्या का चुनाव एवं सही निर्माण करना है। निम्न शर्तों के होने पर शोध समस्य विद्यमान होती है: • 1.     किसी वातावरण में समस्या से संबंधित एक व्यक्ति, एक समूह अथवा एक संगठन का होना आवश्यक है। • 2.     समस्या के समाधान  के लिए कम से कम दो कार्यप्रणालियाँ (course of action) होनी चाहिए। • 3.     कार्यप्रणाली को प्रयोग करने के बाद किसी समस्या के कम से कम दो संभावित परिणाम होने चाहिए जिनमें से एक शोधकर्ता को दूसरे से अधिक उपयुक्त लगता हो। • 4.     कार्यप्रणालियाँ उद्देश्यों पर आधरित कार्य करने की सुविधा प्रदान करने वाली हों। इन कार्यप्रणालियों में असमानताएँ होनी चाहिए।

  26. शोध समस्या dsतत्व • 1.     शोध उपभोक्ता (Research Consumer) • 2.     शोध उपभोक्ता का उद्देश्य (Research Consumer’s Objective) • 3.     उद्देश्य की पूर्ति हेतु वैकल्पिक साधन [वैकल्पिक कार्यप्रणाली] (Alternative means to meet the objective) • 4.     कार्यप्रणाली चयन में संदेह (Doubt with regard to selection of course of action) • 5.     समस्या से संबंधित कम से कम एक वातावरण का होना (There must be some environment[s] pertaining to difficulty)

  27. शोध समस्या का चुनाव करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान ध्यान रखना चाहिए: • 1.     ऎसा विषय u pqusaजिस पर अत्याधिक कार्य हो चुका हो, • 2.     समस्या न तो अति संकीर्ण हो और न ही अति व्यापक हो। • 3.     विवादास्पद विषय के चुनाव से बचना चाहिए। • 4.     शोध का विषय परिचित तथा संभाव्य होना चाहिए • 5.     शोध समस्या का चुनाव करते समय अनेक तत्वों को ध्यान में रखना चाहिए जैसे विषय का महत्व, योग्यताएँ, प्रशिक्षण, समय, धन एवं शक्ति के रूप में लगने वाला व्यय।

  28. शोध समस्या का निर्माणचरण (Formulation of research problem): • 1..    समस्या का सामान्य व व्यापक कथन • (Statement of the problem in a general way): । • 2.    समस्या की प्रकृति को समझना • (Understanding the nature of the problem): • 3.    संबंधित साहित्य का सर्वेक्षण • (Surveying the related literature): • 4.    परिचर्चा के द्वारा विचारों का विकास • (Developing the Ideas through discussion): • 5.    शोध समस्या का पुनर्लेखन • (Rephrasing the research problem):

  29. शोध समस्या को परिभाषित करना • 1.    शोध समस्या के परिभाषा-कथन में उपयोग किए गए तकनीकी या कठिन शब्दों को  परिभाषित करना चाहिए। • 2.    शोध के पूर्वानुमानों आदि का वर्णन किया जाना चाहिए। • 3.    शोध के लाभों का स्पष्ट वर्णन होना चाहिए। • 4.    शोध की समय अवधि का उल्लेख • 5.    शोध का दायरा या सीमाओं (scope)का वर्णन

  30. शोध प्रक्रिया: चरण – 2

  31. संबंधित साहित्य का सर्वेक्षण (Survey of related literature) • संबंधित साहित्य के सर्वेक्षण से तात्पर्य उस अध्ययन से है जो शोध समस्या के चयन के पहले अथवा बाद में उस समस्या पर पूर्व में किए गए शोध कार्यों, विचारों, सिद्धांतों, कार्यविधियों, तकनीक, शोध के दौरान होने वाली समस्याओं आदि के बारे में जानने के लिए किया जाता है। • संबंधित साहित्य का सर्वेक्षण मुख्यत: दो प्रकार से किया जाता है: • 1.    प्रारंभिक साहित्य सर्वेक्षण (Preliminary survey of literature) • प्रारंभिक साहित्य सर्वेक्षण शोध कार्य प्रारंभ करने के पहले शोध समस्या के चयन तथा उसे परिभाषित करने के लिए किया जाता है। इस साहित्य सर्वेक्षण का एक प्रमुख उद्देश्य यह पता करना होता है कि आगे शोध में कौन-कौन सहायक संसाधन होंगे।   • 2.    व्यापक साहित्य सर्वेक्षण (Broad survey of literature) • व्यापक साहित्य सर्वेक्षण शोध प्रक्रिया का एक चरण होता है। इसमें संबंधित साहित्य का व्यापक अध्ययन किया जाता है। संबंधित साहित्य का व्यापक सर्वेक्षण शोध का प्रारूप के निर्माण तथा डाटा/तथ्य संकलन के कार्य के पहले किया जाता

  32. साहित्य सर्वेक्षण के स्रोत • 1. पाठ्य पुस्तक और अन्य ग्रंथ • 2.    शोध पत्र • 3.    सम्मेलन / सेमिनार में पढ़े गए आलेख • 4.    शोध प्रबंध (Theses and Dissertations) • 5.    पत्रिकाएँ एवं समाचार पत्र • 6.    इंटरनेट • 7.    ऑडियो-विडियो • 8.    साक्षात्कार (Interviews) • 9.    हस्तलेख अथवा अप्रकाशित पांडुलिपि

  33. संबंधित साहित्य के सर्वेक्षण के कुछ प्रमुख स्रोत: • पाठ्यपुस्तक: • शोध आलेख / पत्र • सम्मेलन /सेमिनार में पढ़े गए शोध पत्र: • शोध प्रबंध • पत्रिकाएँ और समाचार-पत्र: • इंटरनेट / अंतरजाल

  34. परिकल्पना • जब शोधकर्ता किसी समस्या का चयन कर लेता है तो वह उसका एक अस्थायी समाधान (Tentative solution) एक जाँचनीय प्रस्ताव (Testable proposition) के रूप में करता है। इस जाँचनीय प्रस्ताव को तकनीकी भाषा में परिकल्पना/प्राक्‍कल्पना कहते हैं। इस तरह परिकल्पना / प्राकल्पना किसी शोध समस्या का एक प्रस्तावित जाँचनीय उत्तर होती है।

  35. परिकल्पना • किसी घटना की व्याख्या करने वाला कोई सुझाव या अलग-अलग प्रतीत होने वाली बहुत सी घटनाओं को के आपसी सम्बन्ध की व्याख्या करने वाला कोई तर्कपूर्ण सुझाव परिकल्पना (hypothesis) कहलाता है। वैज्ञानिक विधि के नियमानुसार आवश्यक है कि कोई भी परिकल्पना परीक्षणीय होनी चाहिये। • सामान्य व्यवहार में, परिकल्पना का मतलब किसी अस्थायी विचार (provisional idea) से होता है जिसके गुणागुण (merit) अभी सुनिश्चित नहीं हो पाये हों। आमतौर पर वैज्ञानिक परिकल्पनायें गणितीय माडल के रूप में प्रस्तुत की जाती हैं। जो परिकल्पनायें अच्छी तरह परखने के बाद सुस्थापित (well established) हो जातीं हैं, उनको सिद्धान्त कहा जाता है।

  36. शोध समस्या और शोध परिकल्पना में अंतर • यह दो या दो से अधिक चरों के बीच व्यक्त  प्रश्‍नात्मक कथन का अस्थायी समाधान होता है। • इसकी अभिव्यक्ति एक घोषनात्मक कथन (declarative statement) के द्वारा की जाती है। • इसके द्वारा चरों के बीच के संबंधों कि समस्या के संभावित हल का पता चलता है। • यह दो या दो से अधिक चरों के बीच एक प्रश्‍नात्मक कथन (interrogative statement) होता है। • इसकी अभिव्यक्ति एक प्रश्‍नात्मक कथन के द्वारा की जाती है। • इससे यह पता चलता है कि चरों के बीच के संबंधों की मुख्य समस्या क्या है। शोध परिकल्पना • शोध समस्या

  37. परिकल्पना की विशेषताएँ इस तरह के गुण युक्त परिकल्पना में शोध समस्या का उत्तर सीधे मिल जाता है। इस गुण के न होने से उत्तर प्राप्त करने के लिए उपपरिकल्पनाओं (sub-hypthesis) और तदर्थ पूर्वकल्पनाओं (ad hoc assumptions) का निर्माण करना पड़ता है।

  38. 5)     परिकल्पना को अध्ययन क्षेत्र के मौजूदा सिद्धांतों एवं तथ्यों से संबंधित होना चाहिए • 6)     परिकल्पना से अधिक से अधिक अनुमिति (deductions) किया जाना संभव होना चाहिए तथा उसका स्वरूप न तो बहुत अधिक सामान्य होना चाहिए (general) और न ही बहुत अधिक विशिष्ट (specific)। • 7)     परिकल्पना को संप्रत्यात्मक (conceptual) रूप से स्पष्ट होना चाहिए: इसका अर्थ यह है कि परिकल्पना में इस्तेमाल किए गए संप्रत्यय /अवधारणाएँ (concepts) वस्तुनिष्ठ (objective) ढंग से परिभाषित होनी चाहिए।

  39. परिकल्पना के प्रकार

  40. परिकल्पना के चर • परिकल्पना में तीन चर हैं:

  41. विशिष्ट उद्देश्य के आधार पर: • 1.    करणत्व परिकल्पना (causal Hypothesis): इस तरह की परिकल्पना में शोध प्रश्न का समाधान देते हुए किसी कारण की व्याख्या या उसके प्रभाव की चर्चा होती है। जैसे “थकान से सीखने की गति में कमी होती है”। • 2.    वर्णनात्मक परिकल्पना (Descriptive Hypothesis): • इस तरह की परिकल्पना में किसी समस्या का समाधान देते हुए समस्या के गुणों या उसकी परिस्थिति पर प्रकाश डाला जाता है। जैसे “थकान से व्यक्ति में आगे कार्य करने की अनिच्छा होती है”। • 3.    नल परिकल्पना (Null Hypothesis): • इस तरह की परिकल्पना में में शोधकर्ता चरों के बीच कोई अंतर नहीं होने का उल्लेख करता है। नल परिकल्पना शोध परिकल्पना के ठीक विपरीत होती है। यह एक काल्पनिक मॉडल होता है।

  42. शोध प्रक्रिया में परिकल्पना का निर्माण: • ✰शोध प्रक्रिया के अंतर्गत शोध समस्या के निर्माण के बाद परिकल्पना या परिकल्पनाएँ बनाई जाती हैं। संबंधित साहित्य के सर्वेक्षण से प्राप्त अध्ययन के आधार पर शोधकर्ता पहले के शोध परिणामों तथा सिद्धांतों की अभिधारणाओं (assumptions) के आधार पर वर्तमान समस्या के लिए परिकल्पना बनाता है। • परिकल्पना एक या एक से अधिक भी हो सकती है। परिकल्पना का अर्थ वह अनुमानित कथन (hypothetical statement) है जो शोधकर्ता शोध करने के पहले बनाता है। शोधकर्ता यह अनुमान लगाता है कि शोध में अमुक परिणाम या निष्कर्ष प्राप्त होगा।

  43. ✰परिकल्पना निर्माण के स्रोत: • 1.    व्यक्तिगत अनुभव • 2.    पहले किए शोध के परिणाम • 3.    पुस्तकें, शोध पत्रिकाएँ, शोध सार आदि • 4.    उपलब्ध सिद्धांत • 5.    निपुण विद्वानों के निर्देशन में

  44. परिकल्पना के मुख्य कार्य: • नए सिद्धांतो का प्रतिपादन करना (suggest a new theory) • किसी घटना की • जाँच करना • सिद्धांतों की जाँच करना

  45. मुख्य भाग • ·         मुख्य भाग में विषय-वस्तु की व्याख्या की जाती है। • ·         यह भाग आमतौर पर कई अन्य छोटे-छॊटे भागों (उपशीर्षकों के साथ) में बंटा होता है। • ·         उपशीर्षकों का चयन शोध की विषय-वस्तु को ध्यान में रख कर किया जाना चाहिए। • ·         मुख्य भाग में तालिकाओं, चित्रों, आरेखों आदि को दिया जा सकता है। • ·         मुख्य भाग विश्लेषण किया जाता है।

  46. निष्कर्ष / उपसंहार • ·         यहाँ शोध का सार (summary) लिखा जाता है। • ·         यहाँ आपके शोध प्रश्न का उत्तर होता है। • ·         निष्कर्ष मुख्य भाग में किए गए विश्लेषण अथवा व्याख्या पर ही आधारित होना चाहिए। • ·         निष्कर्ष संक्षिप्त होना चाहिए।

  47. संदर्भ सूची: • ·         संदर्भ सूची में उन पुस्तकों, पत्रिकाओं, समाचार पत्रों, अप्रकाशित पांडुलिपियों, शोध लेखों का विवरण दिया जाता है जिनका आपने शोध में उपयोग किया है। • ·         संदर्भ सूची में जहाँ तक संभव हो पुस्तक अथवा शोध लेख के नाम के साथ लेखक, वर्ष, प्रकाशक, स्थान तथा पृष्ठ संख्या का उल्लेख अवश्य होना चाहिए। • ·         संदर्भ सूची में इंटरनेट की वेबसाईटॊं का भी उल्लेख किया जा सकता है। उनकी पूरी कड़ी (link) के साथ उस वेबसाईट को किस तारीख को देखा गया है, इसका उल्लेख ब्रैकेट में करें।

  48. शोधप्रक्रिया: • शोध प्रक्रिया उन क्रियाओं अथवा चरणों का क्रमबद्ध विवरण जिसके द्वारा किसी शोध को सफलता के साथ संपन्न किया जाता है। • शोध प्रक्रिया के कई चरण होते हैं। • सभी चरण शोध प्रक्रिया में एक-दूसरे से पृथक एवं स्वतंत्र नहीं हैं। • प्रत्येक चरण एक दूसरे पर निर्भर होता है।

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